पंडित जवाहरलाल नेहरू से भेट
ठीक है।
....नहीं तो नोट कौन लिखेगी, अब लिखने वाले को तो कम से कम लिखने वाला ही चाहिए।
अच्छा। ये आंसू तुम्हारे लिए है, इसीलिए तो ये दाईं और है। आशु चुक गई। वह बाईं और एक छोटा सा आंसू उसके लिए भी आ रहा है। मैं बहुत कठोर नहीं हो सकता। दुर्भाग्यवश मेरी केवल दो ही आंखें है। और देवराज भी यहीं है। उसके लिए तो मैं प्रतीक्षा करता रहा हूं। और व्यर्थ में नहीं। वह मेरा तरीका नहीं है। जब में प्रतीक्षा करता हूं। तो वैसा होना ही चाहिए। अगर वैसा नहीं होता तो इसका मतलब है कि मैं सचमुच प्रतीक्षा नहीं कर रहा था। अब फिर कहानी को शुरू किया जाए।